दिल की दौलत
अर्जुन और सिया की शादी को तीन साल हो चुके थे।
दोनों के बीच प्यार था, भरोसा था, और एक प्यारा-सा बेटा भी — आरव।
ज़िंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था।
पर जैसा कहा जाता है —
प्यार की असली परीक्षा तब होती है, जब हालात पलटते हैं।
🌙 नई जिम्मेदारियाँ, नई दूरी
अर्जुन फिर से अपने बिज़नेस में व्यस्त हो गया था।
नई कंपनी, बड़े प्रोजेक्ट्स, लगातार मीटिंग्स —
वो सुबह जल्दी निकलता और रात को देर से लौटता।
सिया उसे समझती थी, पर अकेलापन अब उसे चुभने लगा था।
आरव भी अकसर पूछता,
“माँ, पापा रोज़ रात को देर से क्यों आते हैं?”
सिया मुस्कुरा देती,
“पापा हमारे लिए मेहनत कर रहे हैं, बेटा।”
लेकिन उसके दिल में एक खालीपन बस गया था।
💼 नया चेहरा, नई कहानी
एक दिन अर्जुन के ऑफिस में एक नई मैनेजर आई — रिया मल्होत्रा।
तेज़-तर्रार, आत्मविश्वासी, और बहुत आकर्षक।
रिया और अर्जुन अक्सर मीटिंग्स और प्रोजेक्ट्स में साथ काम करते थे।
रिया हमेशा अर्जुन की तारीफ़ करती, और धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी हो गई।
एक दिन सिया अचानक अर्जुन के ऑफिस पहुँची,
उसे सरप्राइज़ देने के लिए।
पर जैसे ही उसने ऑफिस के दरवाज़े पर कदम रखा,
उसने देखा — अर्जुन और रिया हँसते हुए कॉफी पी रहे हैं।
सिया कुछ बोले बिना लौट आई।
🌧️ गलतफहमी की आँधी
उस दिन के बाद सिया के चेहरे पर मुस्कान गायब थी।
वो अर्जुन से दूर-दूर रहने लगी।
अर्जुन ने पूछा,
“क्या हुआ सिया? तू मुझसे कुछ छिपा रही है?”
सिया बोली,
“तुम्हारे पास अब समय ही कहाँ है मेरे लिए?
शायद अब किसी और के साथ वक्त बिताना ज़्यादा अच्छा लगता है।”
अर्जुन चौंक गया —
“क्या कह रही हो तुम?”
सिया रो पड़ी —
“मैंने अपनी आँखों से देखा है, तुम्हें उसके साथ… रिया के साथ!”
अर्जुन ने गहरी साँस ली,
“रिया मेरे लिए सिर्फ़ एक सहयोगी है, सिया।
तुम जिसे शक समझ रही हो, वो बस प्रोफेशनल रिश्ता है।”
लेकिन सिया का दिल टूट चुका था।
उसने कुछ दिन मायके में रहने का फैसला किया।
💔 अलगाव के दिन
दिन बीतते गए, पर अर्जुन और सिया दोनों एक-दूसरे को भुला नहीं पाए।
अर्जुन हर दिन आरव से वीडियो कॉल करता,
और सिया की आवाज़ सुनकर बस खामोश रह जाता।
एक दिन रिया खुद सिया के घर पहुँची।
उसने कहा,
“सिया जी, मुझे अर्जुन सर से कोई दिलचस्पी नहीं है।
वो मेरे लिए मेरे बड़े भाई जैसे हैं।
आप जो सोच रही हैं, वो सब गलत है।”
सिया का दिल दहल गया।
उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
🌈 मिलन का पल
सिया बिना समय गँवाए कपूर हाउस पहुँची।
अर्जुन अपने कमरे में बैठा आरव की तस्वीर देख रहा था।
सिया ने धीरे से कहा,
“अर्जुन…”
अर्जुन ने ऊपर देखा,
उसकी आँखों में थकान और प्यार दोनों थे।
सिया रोते हुए बोली,
“मुझसे गलती हो गई।
मैंने तुम पर शक किया, जबकि मुझे तुम पर भरोसा रखना चाहिए था।”
अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा,
“प्यार में गलतफहमियाँ आती हैं सिया,
पर अगर प्यार सच्चा हो — तो हर गलतफहमी मिट जाती है।”
दोनों एक-दूसरे के गले लग गए,
और कमरे में फिर से वही सुकून लौट आया, जो कभी खो गया था।
🌹 अंत में सीख
💬 “रिश्तों में सबसे कीमती चीज़ विश्वास है।
जब शक आ जाए, तो प्यार की नींव हिल जाती है।
पर अगर दिल सच्चा हो, तो हर दरार भर जाती है।”